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Friday, September 18, 2009

चाँदनी सा दिलकश सोन्दर्य


आसमानो में बिखरी चाँदनी सा
तुम्हारा दिलकश सोन्दर्य,
हल्के से अंधेरे में लिपटे चाँद सा
तुम्हारा पूरकशिश चेहरा,
रातो की स्याही में झिलमिल करते
सितारो जैसी
तुम्हारी पुरसकून आँखे,
फ़िज़ाओ में अठखेलियां करती
हवाओं सा
तुम्हारा चंचल अंदाज,
आसमाँ से उतर कर सागर को चूमती
काली घटाओं से
तुम्हारे घनेरे गेसू
तपिश में ठंडी बयारों सी
तुम्हारी दिलफरेब बातें
छम छम करती बारिश की
बूँदो सी
तुम्हारी खनकती हँसी.....

Wednesday, September 16, 2009

दुविधा



हर सुबह तो ऐसी नही होती
हर शाम तो ऐसे नही ढलती
कभी कभी जिंदगी
उस मुकाम पर ले आती हें
कोई शब गुज़ारे नही गुज़रती
लम्हे हज़ार आते हें
दौरा-ए-उम्र के दरम्यान
हर लम्हे पर तो ये
आँख भी नही भरती.

Sunday, September 13, 2009

दिल का टुकड़ा


खुश्बू हो सुगंध हो,
मेरे आगंन की महक हो तुम.
संगित हो सरगम हो,
मेरे दिल की धड़कन हो तुम.
दुआ हो सजदा हो,
मेरे खुदा की रजा हो तुम.
मासुम हो नादान हो,
मेरे दिल का टुकड़ा हो तुम.

Monday, September 7, 2009



मेरे दिल की विरानीयों में
आज भी फूल खिलते हें कभी कभी.
मेरे अरमानो की ठंडी राख में
आज भी शोले भड़कते हें कभी कभी.
जब भी इस कायनात में कही
आती हें खुश्बू उसके सांसो की.
फ़िज़ा में उस खुश्बू का अहसास
करता हू में कभी कभी.

Tuesday, September 1, 2009

भगवान की प्रतिज्ञा




मेरे मार्ग पर पैर रखकर तो देख,
तेरे सब मार्ग न खोल दूं तो कहना!
मेरे लिए खर्च करके तो देख,
कुबेर के भंडार न खोल दूं तो कहना!
मेरे लिए कड़वे वचन सुनकर तो देख,
कृपा न बरसे तो कहना!
मेरी तरफ आकर तो देख,
तेरा ध्यान न रखूं तो कहना!
मेरी बातें लोगो से करके तो देख,
तुझे मूल्यवान न बना दूं तो कहना!
मेरे लिए आँसू बहा कर तो देख,
तेरे जीवन में आनंद के सागर न भर दूं तो कहना !
मेरे दर पर आकर तो देख,
तेरे घर न आ जाऊ तो कहना!
स्वयं को न्योछावर कर के तो देख,
तेरे संग न हो लू तो कहना!
मेरा नाम लेकर तो देख,
जगत का विस्मरण न करा दूं तो कहना!
तू मेरा बन कर तो देख,
हर एक को तेरा न बना दूं तो कहना!

Sunday, August 30, 2009

जागो चम्पु जागो



परेशान थी चम्पु की वाइफ
Non-happening थी जो उसकी लाइफ
चम्पु को ना मिलता था आराम
ओफिस मैं करता काम ही काम

चम्पु के बॉस भी थे बड़े कूल
परमोशन को हर बार जाते थे भूल
पर भूलते नही थे वो डेडलाइन
काम तो करवाते थे रोज़ till nine

चम्पु भी बनना चाहता था बेस्ट
इसलिए तो वो नही करता था रेस्ट
दिन रात करता वो बॉस की गुलामी
Onsite के उम्मीद मैं देता सलामी

दिन गुज़रे और गुज़रे फिर साल
बुरा होता गया चम्पु का हाल
चम्पु को अब कुछ याद ना रहता था
ग़लती से बीवी को बहेनजी कहता था

आख़िर एक दिन चम्पु को समझ आया
और छोड़ दी उसने Onsite की मोह माया
"तुम क्यों सताते हो ?
"Onsite के लड्डू से बुद्दु बनाते हो"

"परमोशन दो वरना चला जाऊंगा"
"Onsite देने पर भी वापिस ना आऊंगा."
बॉस हंस के बोला "नही कोई बात"
"अभी और भी चम्पु है मेरे पास"

"यह दुनिया चमपुओं से भरी पड़ी है"
"सबको बस आगे बढ़ने की पड़ी है"
"तुम ना करोगे तो किसी और से करवाऊंगा"
"तुम्हारी तरह एक और चम्पु बनाऊंगा"

(WAKE UP CHAMPU)

साभार :-- (yahoo groups EnjoyTheMasti)

Friday, August 28, 2009

परम आनंद की अनुभूति


26 तारीख को हम 6-7 दोस्तो ने सोचा पुनरासर हनुमानजी जाने वाले पैदल यात्रियो की सेवा करनी चाहिए
ओर हम निकल पड़े पानी का प्रबंध करके .
बीकानेर से 17 किलोमीटर दूर रायसर गाँव के पास हमने यात्रियो को शीतल जल पिलाना शुरू किया
शाम करीब 6.00 बजे से रात को करीब 1.30 बजे तक हम सारे दोस्तो ने मिल कर यात्रियो की सेवा की
बीच बीच में बाबा के जैकारे लगते रहे पानी पीने वाले यात्री हमे आशीष देते रहे.
हमे सेवा का सुख मिलता रहा.
सच सेवा में बड़ा सुख मिलता .
बोल पुनरासर बाबे री जै
कल 27 आलस में निकल गया, आज 28 को सुबह सुबह देनिक भास्कर में ब्लॉग पर एक लेख पढ़ने को
मिला ब्लॉग-अभिव्यक्ति या विवाद का मंच, जिसमे हमारे हिन्दी ब्लॉग जगत के जाने माने ब्लॉगर रवि रतलामीजी
के विचार भी थे बड़ा अच्छा लगा.

Wednesday, August 19, 2009

तेरा ख्याल



हर सांस खुशबू की मानिंद,
हर आह तेरी प्यास हे.
अपना उसे बना ना सके जो,
दिल की दुनिया उदास हें.
दिल के किसी कोने की हलचल,
नाम तेरा चुपके से लेती हें.
तू ना तेरा ख्याल सही,
मेरी मोहब्बत ये कहती हें.
क़ैद बंधनो की बेड़ियो से हूं,
चाहत ना कर पाउंगा पूरी.
रिश्ता ना अपना बन सकेगा,
सहनी पड़ेगी ये दूरी.
दुल्हन तुम बन कर जब,
अपने पिया के घर जाओगी.
भूलने को तुम्हे अपनी आँखो से,
अश्क बना बहा दूँगा में.

Saturday, August 15, 2009

खामोशी




सूरज कि धुप कुछ कुछ मलिन सी लगती हैं,
मिट्टी से आती खुश्बू भी कुछ ग़मगिन सी लगती हैं,
हर ओर पसरा हे सन्नाटा-छाई हे खामोशी,
आज फिर मन पर छाई हे गहरी उदासी

Wednesday, August 5, 2009

सन्नाटो में सरगम


में तुमको विश्वास दू तुम मुझको विश्वास दो
शंकाओ के सागर हम लाँघ जाएँगे,
मरुधरा को मिलकर स्वर्ग बनाएँगे
प्रेम बिना यह जीवन तो अनजाना हें,
सब अपने हें कौन यहाँ बेगाना हें
हर पल अपना अर्थवान हो जाएगा,
बस थोड़ा सा मन में प्यार जगाना हें
इस जीवन को साज दो मौन नही आवाज़ दो,
पत्थरो में मीठी प्यास जगाएँगे
मरुधरा को मिल कर स्वर्ग बनाएँगे,

अलगाओ से आग सुलगने लगती हें
उपवन की हर शाख झुलसने लगती हें,
हर आँगन में सिर्फ़ सिसकिया उठती हें
संबंधो की सांस उखड़ने लगती हें,
द्वेष भाव को त्याग दो
बस सबको अनुराग दो,
सन्नाटो में हम सरगम बन जाएँगे
मरुधरा को मिल कर स्वर्ग बनाएँगे,

ढूँढ सको तो इस माटी में सोना हें
हिम्मत का हथियार नही बस खोना हें,
मुस्का दो तो हर मौसम मस्ताना हें,
बीत गया जो समय उसे क्या रोना हें
लो हाथो में हाथ लो
एक दूजे का साथ दो,
इस धरती का सोया प्यार जगाएँगे मरुधरा को मिल कर स्वर्ग बनाएँगे.



सन्नाटो में सरगम (1996)

Saturday, August 1, 2009

तुम कौन हो ?


तुम कौन हो ?
फलक पर चमकता चाँद,या कोई रोशन सितारा.
गुलशन में खिला सुर्ख गुलाब,या किसी झील का कंवल!
तुम कैसी हो ?
रात की चाँदनी जैसी,या फुलो की खुशबू जैसी.
नगमो की सरगम जैसी,या बदली की घटाओ जैसी!
तुम कहाँ हो ?
अपने आँगन में,या मेरे ख्वाबो में.
इस जमी पे ,या मेरे ख्यालो में,
अपने वजूद में,या मेरी धड़कन में !

Wednesday, July 1, 2009

बैचेनी

संवेदना की स्याही से आँखो के कागज पर लिखे हुए, भीने से आँसू जैसे थोड़े से गीले शब्द चमक रहे है, होंठो की हद तोड़ कर आवाज़ का पानी तो बह गया सारा, अब तो ये हर्दय का सरोवर पीड़ा से छलकता है, जानता हूँ की तुमको नही आता इन चमकते शब्दो को पढ़ना, ओर ये दुर्भाग्य है मेरे शब्दो का की, तुम मुझसे पुछ्ते हो की --- क्यूँ में मौन हू. किसलिए में मौन हूँ....(अनाम)

Sunday, June 7, 2009

बचपन




बचपन के दुख भी कितने अच्छे थे,
तब तो सिर्फ़ खिलोने टूटा करते थे,
वो खुशियाँ भी ना जाने केसी खुशियाँ थी,
तितली को पकड़ कर उछला करते थे,
पाँव मार के खुद बारिश के पानी में,
अपने आप को भिगोया करते थे,
अब तो एक आँसू भी रुसवा कर जाता है,
बचपन में तो दिल खोल के रोया करते थे.

(अनाम)

Wednesday, February 18, 2009

माँ




तेरी गोद की ज़रूरत मुझे हरदम है,
हर पल तेरी ममता की ज़रूरत मुझे है,
तेरे प्यार भरे हाथो की
तेरी वात्सल्य भरी मुस्कान की,
मेरा बचपन मेरी जवानी मेरा आखरी वक़्त,
हर लम्हा मुझे तेरी ज़रूरत है,
एक तू ही तो है - जो मेरे दिल में
छुपी दास्तानो को पढ़ सकती है,
एक तू ही तो है - जो मेरा
दर्द समझ सकती है,
मेरे दुख से बस तेरे ही आँसू निकलते है,
मेरी खुशी से तेरे चेहरे पर मुस्कान
खिलती है,
मेरे लहू के हर कतरे में बस
तेरा ही रंग झलकता है,
माँ बस तू ही तो है
बस तू ही तो है.

Monday, February 16, 2009

भाई

Ishwar Brij



मेरी जिंदगी मेरा ख्वाब मेरा बचपन हो तुम,
मेरी उमंग मेरा मन मेरा वजूद हो तुम,
तुमसे रोनक तुमसे हँसी तुमसे खुशी मेरी,
तुमसे जॅहा तुमसे जिगर तुमसे जमी मेरी,
तुम होसला तुम विश्वास तुमसे हिम्मत मेरी,
तुम भाई तुम यार तुमसे धड़कन मेरी.

Saturday, February 14, 2009

मोहब्बत



मोहब्बत अल्फ़ाज़ है वो जो कायनात की सरजमीन
पर तबसे है,
जब जहाँ के मालिक ने इन फिजाओ को बनाया था.
मुड़ के देखे अगर माजी में तो कुछ नाम आते है सामने
जिन्होने जज़्बा-ए-खुदा को अपने दिल में पनाह दी थी.
सिर्फ़ उन्ही के नाम है,
इस जहाँ में जो ईश्क की गहराइओ में डूब कर फ़ना हो गये.
ओर गर नज़र उठा कर देखे मुस्तकबिल की तरफ तो समझ में
आती है ये बात की आज मायने बदल गये है मोहब्बत के,
आज कोई नही फ़ना होता इस अहसास में.
क्योंकि अब ये अल्फ़ाज़ सिर्फ़ जिस्मो तक शक्लो-सूरत तक सिमट कर रह गया है.
अब कोई नही कहता की ये तो
"सिर्फ़ अहसास है रूह से महसूस करो,
हाथ से छु के रिश्तो का इल्ज़ाम ना दो."

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(पर आज की दुनिया में भी कुछ लोग है
जो मुहब्बत के मायने जानते है,
जो इस खूबसूरत अहसास को रूह से महसूस करते है.)

Friday, February 13, 2009

लोग




अफ़सोस कही जाहिर करते है लोग,

कही कही निगाहे चुरा लेते है लोग,

वक़्त की मार सह लेते है अक्सर,

कभी कभी वक़्त को मार देते है लोग,

चुप चुप बतियाते है बड़ी बातो पे,

कभी छोटी छोटी बात पे चिल्लाते है लोग,

मंदिर में देवियो को पूजते है हमेशा,

कभी किसी का आँचल उड़ा देते है लोग,

सिने से लगाते है बहुत बार सामने से,

कभी पीठ पे छुरा भोंक देते है लोग,

आसान रास्तो पे हाँफ हाँफ के चलते है,

कभी मुश्किल राहो पे सरपट भाग लेते है लोग.