26 तारीख को हम 6-7 दोस्तो ने सोचा पुनरासर हनुमानजी जाने वाले पैदल यात्रियो की सेवा करनी चाहिए
ओर हम निकल पड़े पानी का प्रबंध करके .
बीकानेर से 17 किलोमीटर दूर रायसर गाँव के पास हमने यात्रियो को शीतल जल पिलाना शुरू किया
शाम करीब 6.00 बजे से रात को करीब 1.30 बजे तक हम सारे दोस्तो ने मिल कर यात्रियो की सेवा की
बीच बीच में बाबा के जैकारे लगते रहे पानी पीने वाले यात्री हमे आशीष देते रहे.
हमे सेवा का सुख मिलता रहा.
सच सेवा में बड़ा सुख मिलता .
बोल पुनरासर बाबे री जै
कल 27 आलस में निकल गया, आज 28 को सुबह सुबह देनिक भास्कर में ब्लॉग पर एक लेख पढ़ने को
मिला ब्लॉग-अभिव्यक्ति या विवाद का मंच, जिसमे हमारे हिन्दी ब्लॉग जगत के जाने माने ब्लॉगर रवि रतलामीजी
के विचार भी थे बड़ा अच्छा लगा.
Friday, August 28, 2009
परम आनंद की अनुभूति
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