पढ़ें अपनी भाषा में
Roman(Eng) Gujarati Bangla Oriya Gurmukhi Telugu Tamil Kannada Malayalam Hindi
बचपन के दुख भी कितने अच्छे थे,तब तो सिर्फ़ खिलोने टूटा करते थे,वो खुशियाँ भी ना जाने केसी खुशियाँ थी,तितली को पकड़ कर उछला करते थे,पाँव मार के खुद बारिश के पानी में,अपने आप को भिगोया करते थे,अब तो एक आँसू भी रुसवा कर जाता है,बचपन में तो दिल खोल के रोया करते थे.(अनाम)
Post a Comment
Enter your email address:
FeedBurner
Subscribe in a reader
0 comments:
Post a Comment