खुश्बू हो सुगंध हो,
मेरे आगंन की महक हो तुम.
संगित हो सरगम हो,
मेरे दिल की धड़कन हो तुम.
दुआ हो सजदा हो,
मेरे खुदा की रजा हो तुम.
मासुम हो नादान हो,
मेरे दिल का टुकड़ा हो तुम.
Sunday, September 13, 2009
दिल का टुकड़ा
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3 comments:
इश्वर जी,
दिल के टुकड़े इतने ही मासूम, दिलकश और खुदा की नेमत होते हैं. वह हमारी पूजा का प्रतिफल होते हैं--याद दिलाने का शुक्रिया ! ये दिल का टुकडा भी कितना मासूम है, दिलफरेब है उसकी अदा ! vaari jaaun !! --आ.
दिल और उसके टुकड़े यह खयाल तो पुराना है लेकिन अन्दाज़ नया है ।
बहुत खूब!
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